Income Statement Kya Hota Hai

Income Statement Kya Hota Hai | what is income statement in Hindi | आय विवरण क्या है | Income Statement In Hindi

 

आपका इनकम क्या है? आपके खर्च क्या है? आप अपने कुल इनकम में से अपने खर्च को घटा दें|

जो रासी बचेगी  वही आपका लाभ अथवा बचत है|

यही एकाउंटिंग का सबसे मूलभूत नियम है|

Income Statement Kya Hota Hai

(Income Statement Kya Hota Hai)
(Income Statement Kya Hota Hai)

 

किसी भी कंपनी के विषय में भी यही सत्य है| कंपनी के इनकम में से उसके खर्चों को घटा दें| आपको कंपनी का लाभ ज्ञात हो जाएगा|

अगर आपका विचार किसी कंपनी के प्रॉफिट या लॉस को समझने का है तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं|

 

 

आज के इस आर्टिकल में हम लोग कंपनी के इनकम स्टेटमेंट,(Income Statement Kya Hota Hai) पर विचार करेंगे|

वह विवरण जो किसी कंपनी के हैं लाभ अथवा हानि के बारे में बताता है, आय विवरण अथवा इनकम स्टेटमेंट या प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट कहलाता है|

इस आर्टिकल में आप सीखेंगे की

  • आय विवरण क्या है?(Income Statement Kya Hota Hai?)
  • कंपनी के लॉन्ग टर्म सस्टेनेबिलिटी क्या है?
  • कंपनी के शेयर खरीदने में मार्जिन आफ सेफ्टी है या नहीं?
  • इनकम स्टेटमेंट के मदद से बहुत सारे रेशियो का विश्लेषण कैसे करना  है?
  • कंपनी के खर्चों  क्या है?
  • अलग-अलग कंपनियों के इनकम स्टेटमेंट का एनालिसिस कैसे करते है?
  •  किसी भी कंपनी की Expected Profit को कैसे पता करें?

हम अपने पूरे जीवन में रिजल्ट को ही एनालाइज करने के लिए ट्रेंड किए गए हैं|आपने देखा नहीं है कि जब भी कोई खेल होता है, जब भी आप किसी एग्जाम की प्रिपरेशन करते हैं,तो आपका या किसी और व्यक्ति का  मुख्य लक्ष्य होता है रिजल्ट को बेहतर करना| किसी भी कंपनी के बारे में भी कुछ अलग नहीं है

अगर आप इनकम स्टेटमेंट (Income Statement Kya Hota Hai) को समझना चाहते हैं तो आप एक ब्लैंक पेपर लेकर बैठ जाइए|

उसको दो भाग में बांट  दीजिए| एक तरफ अपने इनकम को लिख लीजिए| आप किन किन स्रोतों से पैसा कमा रहे हैं| जैसे- आप के इनकम में आपका सैलरी या बिजनेस से कमाया हुआ धन हो सकता है| इंटरेस्ट से इनकम आपका हो सकता है| डिविडेंड से आप कमा सकते हैं|

Other income इस तरह से आप एक कॉलम में अपने सारे इनकम को रिकॉर्ड करें| फिर उनका टोटल करें|

 

अपने दाएं तरफ वाले कॉलम में अपने एक्सपेंस को या खर्च को रिकॉर्ड करें या लिखें| आपके खर्च क्या-क्या हो सकते हैं जैसे रेंट हो सकता है, फूड हो सकता है, कपड़े हो सकते हैं, टैक्स हो सकते हैं, बिजली परिवहन पर किया गया खर्च,telephone loan payment, इंसुरेंस का पेमेंट करना, क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाना, और other expense.

आप इन खर्चों को जोड़ें और फिर अपने इनकम से अपने खर्चों को घटाएं जो रिजल्ट बचेगा वह आपका नेट प्रॉफिट होगा|

 

किसी भी कंपनी के बारे में भी यही सत्य है| कंपनी को अपने दिन प्रतिदिन के उत्पादन को जारी रखने के लिए खर्च करने पड़ते हैं| कंपनी को अपने कर्मचारियों को काम पर मन से लगाए रखने के लिए और उत्पादन में काम आने वाली सामग्रीओ की आपूर्ति बरकरार रखने के लिए कंपनी को खर्चे करने पड़ते हैं|

यह कंपनी के एक्सपेंस में लिखा जाता है| कंपनी जब किसी भी उत्पाद को बनाती है, तो उसे बाजार में बेचा जाता है|

उससे जो पैसे प्राप्त होते हैं उसे रिवेन्यू के रूप में लिखा जाता है|

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कंपनी उत्पाद बेचने के अलावा इन्वेस्टमेंट का भी काम करती है| कंपनी अपने कुछ पैसे को इन्वेस्ट करती है जिससे उसे कुछ  आय की प्राप्ति होती है|

 

इस आय को कंपनी के अंदर इनकम में दिखाया जाता है| जब हम किसी भी कंपनी के टोटल इनकम में से टोटल कंपनी के एक्सपेंस को  घटाते हैं या सब्सट्रैक्ट करते हैं ,तो जो हमें नेट रिजल्ट प्राप्त होता है. उससे कंपनी का प्रोफिट बोला जाता है|

यह आपकी प्रॉफिट से कुछ अलग नहीं है बस कुछ ज्यादा जीरो है।

Income Statement Kya Hota Hai
Income Statement Kya Hota Hai

 

अब हम किसी भी इनकम स्टेटमेंट (Income Statement Kya Hota Hai) को थोड़ी गहराई से समझने की कोशिश करेंगे।

और उसके प्रत्येक लाइन आइटम को समझेंगे .

आजकल दुनिया में बहुत सारी अलग-अलग तरह की कंपनियां बनी है इन कंपनियों के खर्चों और आय का प्रकार भी अलग-अलग है।

 ऐसे में इनकम स्टेटमेंट का एनालिसिस या विश्लेषण थोड़ा जटिल हो गया है।

ऐसे में हम लोग इनकम स्टेटमेंट को 9 भागों में बांट करके इसका अध्ययन करेंगे।

यहां हम एक बड़े पैमाने पर कंपनी के खर्चो और आय को डिवाइड किए हैं।

(Income Statement Kya Hota Hai)

  • Revenue
  • Cost of goods sold
  • Operating expense 
  • Other income 
  • Depreciation and amortization 
  • Interest 
  • Tax 
  • PAT
  • NET INCOME

 

 Revenue kya hai-

कोई भी कंपनी जो भी बिजनेस करती है उस बिजनेस में वह अपने प्रोडक्ट को या सर्विस को बेंचती है।

 कंपनी को अपने प्रोडक्ट या सर्विस को बेचने से जो आय की प्राप्ति होती है उससे ही रिवेन्यू बोला जाता है।

 फाइनेंसियल Term में इससे अक्सर टॉप लाइन बोला जाता है|अगर आप किसी कंपनी के हैं फंडामेंटल एनालिसिस करने जा रहे हैं तो इनकम स्टेटमेंट या कंपनी के आय  के विवरण का विश्लेषण बहुत ही आवश्यक है, और इसमें जो सबसे मूलभूत चीज है वह है कंपनी का रिवेन्यू|

 कंपनी के रेवेन्यू के  विश्लेषण से आप इन चीजों को समझ सकते हैं-

क्या कंपनी का  विकास हो रहा है – अगर आप कंपनी के रेवेन्यू का एनालिसिस करते हैं तो आप कंपनी के इस वर्ष की रेवेन्यू की तुलना पिछले वर्ष के रिवेन्यू से करके देख सकते हैं|

इस तुलना से आपको यह बात आसानी से पता लग जाएगा कि पिछले साल के मुकाबले  कंपनी के रेवेन्यू में इस साल कितनी बढ़ोतरी हुई और यह पिछले साल की तुलना में रेवेन्यू में कितने प्रतिशत की वृद्धि या घाटा है|

 

रेवेन्यू की इस तरह से एनालिसिस करके आप कंपनी के रुख को पहचान सकते हैं कि कंपनी अपटेंड  में है या डाउनट्रेंड में|

 

कंपनी का रेवेन्यू और कंपनी का साइज- किसी भी कंपनी के आकार उसके रिवेन्यू से पता चलता है|जैसे आमतौर पर कंपनी की मार्केट कैपिटल के आधार पर कंपनी के आकार बताया जाता है|

 

परंतु कंपनी का रिवेन्यू कंपनी के आकार के निर्माण में बहुत ही बड़ी भूमिका निभाता है| जिस भी कंपनी का रिवेन्यू जितना ज्यादा होगा उस कंपनी का आकार अपने प्रतिस्पर्धी कंपनियों से बड़ा होगा|

 

रेवेन्यू मतलब मजबूत मांग- जिस भी कंपनी का रिवेन्यू काफी मजबूती से बढ़ता है उसका सीधा सा अर्थ होता है, कि कंपनी के उत्पाद को लोगों द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है| और यही कारण है कि कंपनी का रिवेन्यू की बढ़ोतरी दर काफी अधिक है| 

 

नीचे दिए गए टेबल में टाटा पावर (TATA POWER) के रिवेन्यू 2018 से  2021 के बीच में दिखाया गया है, इसमें आप देख रहे हैं कि टाटा पावर का मार्च 2018 में टोटल सेल 26840.27 था|

जो मार्च 2019 में बढ़कर के 29881. 6  हो गया| इस बीच टाटा पावर के रिवेन्यू में 11.33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई|

अब मार्च 2019 से मार्च 2020 के बीच में टाटा पावर का रिवेन्यू 2.49 प्रतिशत से गिर गया और यह मार्च 2021 में 32468 .10 हो गया जो मार्च 2020 की तुलना में 11.43% की बढ़ोतरी थी| 

यहां टाटा पावर के सेल्स को देखकर यह हनुमान लगता है कि  औसतन टाटा पावर 7% से अपने रिवेन्यू को बढ़ा रहा है अतः कह सकते हैं कि टाटा पावर का रिवेन्यू ग्रोथ  अप ट्रेंड का है|

 

TATA POWER SALES OR REVENUE

MARCH-18 26840.27 11.33%
MARCH-19 29881.06 -2.49%
MARCH-20 29136.37 11.43%
MARCH-21 32468.10 COMMING SOON

 Key factors for analysing revenue (Income Statement Kya Hota Hai)

  • इनकम स्टेटमेंट का विश्लेषण काफी सावधानी से करें|
  •  इनकम स्टेटमेंट में जो  रिवेन्यू का डाटा दिया गया है उसे सतर्कता से समझें|
  •   किसी भी कंपनी के रेवेन्यू के डाटा का प्रतिशत बढ़ोतरी या प्रतिशत घाटा निकाले|
  •  कंपनियों के रिवेन्यू में औसतन 10% या उससे अधिक का बढ़ोतरी हो तो उसे आगे विश्लेषण के लिए शामिल करें
  •   एक ही  व्यवसाय में लगे हुए अलग-अलग कंपनियों का रिवेन्यू  विश्लेषण एक साथ करके देखें कि किस कंपनी में रिवेन्यू ग्रोथ  दिखा रहा है|
  •  कंपनियों के द्वारा  रिवेन्यू के डाटा को गलत तरीके से पेश किया जा सकता है अतः इसे सावधानी से जांच लें|
  • अगर आप रिवेन्यू के विश्लेषण में और गहराई से देखना चाहते हैं तो आप किसी भी कंपनी के अलग-अलग बिजनेस से आने वाले हैं रेवेन्यू के डाटा को एनालाइज कर सकते हैं और यह देख सकते हैं कि यह कंपनी किस व्यवसाय से अधिक रिवेन्यू उत्पन्न कर रही हैं और साथ ही यह देखें कि क्या यह कंपनी का कोर बिजनेस है या  क्या कंपनी इसी व्यवसाय के लिए जानी जाती है |

Income Statement Kya Hota Hai | आय विवरण क्या है

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कंपनी का रिवेन्यू किसी भी कंपनी का पूरा पिक्चर नहीं देता है| किसी भी कंपनी के रेवेन्यू का कोई अर्थ नहीं है जब तक उसके खर्चों का विश्लेषण ना हो|  कोई भी कंपनी तभी पैसा कमा सकते हैं जब उसके खर्चे कम हो| आइए कंपनी के खर्चों का विश्लेषण करते हैं| देखते हैं कंपनियां किस तरह से खर्च करती हैं| कंपनियों के खर्च क्या है? किस तरह ही कंपनियों के शेयर खरीदने से बचना चाहिए?

(Income Statement Kya Hota Hai)

Cost of goods sold- कोई भी कंपनी किसी भी प्रोडक्ट को बनाती है या सर्विसेज को बेचती है तो उसे बनाने या सर्विस को तैयार करने में कंपनी को कुछ खर्चे लगते हैं इस खर्चे को ही हम कॉस्ट ऑफ गुड्स सोल्ड बोलते हैं| कंपनियां किसी प्रोडक्ट को बाजार से खरीद कर उसे दोबारा सेल करें  अथवा  रो मटेरियल खरीदें और लेबर का यूज करके प्रोडक्ट का निर्माण करें| इन दोनों की अवस्थाओं में जो खर्च होंगे उसे कंपनी का कॉस्ट आफ गुड्स सोल्ड माना जाएगा|

सर्विस सेक्टर की कंपनियों के लिए कॉस्ट आफ गुड्स सोल्ड को   कॉस्ट ऑफ रिवेन्यू  बोला जाता है|

 

इसे हम लोग डायरेक्ट कॉस्ट भी कहते हैं क्योंकि यह कंपनी के प्रोडक्ट में डायरेक्टली शामिल होता है|

 

इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं अगर कोई ऑटोमेकर कंपनी है, तो उसे ऑटो को बनाने के लिए स्टील की आवश्यकता पड़ सकती है| यह जो स्टील का कॉस्ट होगा वह उसके डायरेक्ट cost में शामिल होगा| इसे ही कॉस्ट आफ गुड्स सोल्ड बोला जाएगा।

 

कॉस्ट आफ  गुड सोल्ड से कंपनी के प्रॉफिटेबिलिटी  और लॉन्ग टर्म सस्टेनेबिलिटी के बारे में पता नहीं चलता है| इसे  हम ग्रॉस प्रॉफिट और ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन से कुछ ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं

  • Gross Profit And Gross Profit Margin -अगर हम रिवेन्यू में से कॉस्ट आफ गुड्स सोल्ड को घटा लेते हैं तो हमें ग्रॉस प्रॉफिट प्राप्त होता है। यहां ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन ग्रॉस प्रॉफिट को रिवेन्यू से भाग देकर प्राप्त किया जाता है।

 

उदाहरण -मान लेते हैं कि टाटा मोटर 3000 रूपए की कार बेचती है। इस कार को बनाने में कंपनी ने 1800 रुपए की रॉ मैटेरियल खरीदी है।

अब कंपनी का ग्रॉस प्रॉफिट होगा -Gross profit =Revenue – Cost of goods sold,

3000-1800=1200

 

Gross profit margin=1200/3000*100= 40%

यहां हमने 100 से गुणा किया है ताकि ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन का प्रतिशत निकाल सकें।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन से संबंधित (Income Statement Kya Hota Hai)

  • वैसी  कंपनी जिसका ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन अपने  समकक्ष कंपनी से  अधिक हो,  ज्यादा समय तक बाजार में टिक सकते हैं| ऐसी कंपनियों को ज्यादा कंपटीशन का सामना नहीं करना पड़ता है| क्योंकि इनका ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन अच्छा होता है  इसीलिए  इसमें निवेश करके निवेशक अच्छा पैसा कमा सकते हैं|
  • अच्छी कंपनी का ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन लगातार अच्छा रहता है|
  • अगर कंपनी  का ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन कभी काफी अधिक हो जाता है और कभी  कम तो ऐसी कंपनियों से दूर रहें|

 

  • Operating expense- यह कंपनी के पैसे खर्च होते हैं जो कंपनी के प्रोडक्ट बनाने में डायरेक्टली तो शामिल नहीं होते लेकिन कंपनी के सेल को बढ़ाने के लिए आवश्यक होते हैं।

 इन्हें इनडायरेक्ट एक्सपेंस या ओवरहेड ऑपरेटिंग एक्सपेंस के नाम से भी जाना जाता है। इसमें शामिल कुछ एक्सपेंसेस हैं जैसे

  •  मार्केटिंग एक्सपेंस – कंपनी अपने उत्पाद को बेचने के लिए कुछ प्रचार-प्रसार करती है यह उत्पाद का प्रचार कंपनी के मार्केटिंग एक्सपेंस में शामिल किया जाता है।
  • रिसर्च और डेवलपमेंट पर किया गया खर्च और कोई भी कंपनी जब तक अपने उत्पाद में कुछ नया विकसित करना नहीं चाहेगी या अपने उत्पाद को मॉडिफाई करने या नए उत्पाद को बाजार में लाने के बारे में रिसर्च नहीं करेगी तो कंपनी का सस्पेंड करना थोड़ा मुश्किल होता है इस तरह से कंपनी कुछ खर्चा अपने रिसर्च और डेवलपमेंट पर करती है इस खर्च को ही है रिसर्च एंड डेवलपमेंट में शामिल किया जाता है।

 

  •  प्रशासनिक खर्च – कोई भी कंपनी अपने उत्पादन के लिए कुछ स्टाफ को नियुक्त करती है यह कंपनी के ह्यूमन रिसोर्स समझे जाते हैं और इन पर कुछ खर्च होता है, इसे कंपनी के प्रशासनिक खर्च में शामिल किया जाता है.

 

  • Other Income- किसी भी कंपनी के पास कई तरीके से पैसे आते हैं। जब कंपनी के पास किसी भी प्रोडक्ट अथवा सर्विस को सेल करने के अलावा किसी अन्य जगह से पैसा आता है, तो उसे अन्य इनकम में शामिल किया जाता है। जैसे -लीगल सेटेलमेंट, फैक्ट्री का बेचना इत्यादि

 

  • Other Expenses- कंपनी के जिन खर्चों को ऑपरेटिंग एक्सपेंस में शामिल नहीं किया जाता है, उन्हें अन्य एक्सपेंस में शामिल किया जाता है। जैसे – फैक्ट्री का मरम्मत, डिप्रेशिएशन, अमोरटाइजेशन इत्यादि।

 

अब चुकी यह खर्च है तो जितना कम हो सही है। क्योंकि कोई भी कंपनी तभी ज्यादा अर्निंग कर सकती हैं, जब उसके खर्चे कम हो।

वारेन बफे के अनुसार कंपनी का लंबे समय तक सस्टेनेबिलिटी इस बात पर भी निर्भर करती है,की कंपनी का खुद के मेंटेनेंस पर कितना खर्च करना पड़ता है।

  • Earning before interest and tax -यह कंपनी का टैक्स चुकाने से पहले का इनकम होता है। कंपनी के रेवेन्यू में से जब कॉस्ट आफ गुड्स सोल्ड, ऑपरेटिंग एक्सपेंस और अन्य एक्सपेंस को घटा लेते हैं,तो जो राशि मिलती है उसे EBIT(earning before interest and tax) कहते हैं।
  • Interest expense- कंपनी अपने ऑपरेशन को जारी रखने के लिए तथा रॉ मटेरियल की खरीदारी के लिए बैंकों से लोन लेती है। बैंक के इस लोन पर कंपनी को इंटरेस्ट देना होता है। इस खर्च को कंपनी का इंटरेस्ट एक्सपेंस कहा जाता है।

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Interest expense
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यदि कंपनी का लोन कम हो या बिल्कुल नहीं हो तो इंटरेस्ट एक्सपेंस भी कम या बिलकुल नहीं होगा।

किसी भी कंपनी को अत्याधिक कर्ज नहीं लेना चाहिए। क्योंकि यह धीरे-धीरे कंपनी के सारे आए को खा जाता है।

कंपनी का अत्याधिक आय कंपनी के इंटरेस्ट एक्सपेंस में खर्च हो जाता है। ऐसे कंपनियों से निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।

क्योंकि लंबे समय में यह कंपनियां सस्टेनेबल नहीं हो पाएंगी।

  • Tax-कंपनियों को बिजनेस करने के लिए टैक्स भी चुकाने पड़ते हैं। यहां पर कंपनी टैक्स के रूप में कितना सरकार को दे रही है, इसका ब्योरा होता है।
  • PAT- इसे profit after tax भी कहा जाता है। टैक्स देने के बाद कंपनी का जो प्रॉफिट बचता है, यह वह हिस्सा होता है।
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  • Net Income- अंत में सारे खर्चे और सारे कॉस्ट देने के बाद कंपनी के पास जो बचता है उससे नेट इनकम बोला जाता है। यह बताता है की किसी विशेष समय में कंपनी ने कितना कमाया है।

Profit= Revenue -Expenses

कंपनी जो प्रॉफिट होता है टैक्स भी उसी पर देना होता है।

अगर हम कंपनी के प्रॉफिट में से टैक्स को घटा देते हैं तो हमें कंपनी का नेट इनकम मिलता है।

यह नेट इनकम  हमें बताता है की कंपनियों वास्तव में कितने पैसे earn कर रही है।

Income Statement In Hindi
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Net Income=Profit – Tax

कोई भी कंपनी एक अच्छी आय के लिए हैं कारोबार करती है। ऐसे में कंपनी का नेट इनकम अच्छा होना चाहिए।

 

इनकम स्टेटमेंट हमें एक विशिष्ट समय में किसी कंपनी की लाभ और हानि को बताता है।

इनकम स्टेटमेंट हमें बताता है कि कोई कंपनी प्रॉफिट कमा रही है या नहीं।

 

Profit= Revenue -Expenses

कंपनी जो प्रॉफिट होता है टैक्स भी उसी पर देना होता है।

अगर हम कंपनी के प्रॉफिट में से टैक्स को घटा देते हैं तो हमें कंपनी का नेट इनकम मिलता है।

यह नेट इनकम  हमें बताता है की कंपनियों वास्तव में कितने पैसे earn कर रही है।

Net Income=Profit – Tax

निष्कर्ष – Income Statement Kya Hota Hai | what is income statement in hindi

किसी भी कंपनी का नेट प्रॉफिट कंपनी का बॉटमलाइन होता है| रेवेन्यू कंपनी का टॉप लाइन होता है| कंपनी का टॉप लाइन अगर अच्छा है और कंपनी अपने खर्च को नियंत्रित करती है तू कंपनी का बॉटम लाइन भी अच्छा होता है|

एकाउंटिंग का सबसे मूल नियम है, रेवेन्यू में से खर्च को घटा ले जो शेष राशि बचेगी वही कंपनी का प्रॉफिट है|

पैसे कमाने का एक ही  सीक्रेट है कम खर्च करना| यह खर्च विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं| उनके बारे में विस्तृत रूप से अलग-अलग लेखों में बात की जाएगी| जो कंपनी का मुख्य खर्च है, ऑपरेशनल कॉस्ट, वह कम से कम हो ताकि कंपनी का ऑपरेशन प्रॉफिट अच्छा हो|

 

सिर्फ इनकम स्टेटमेंट किसी भी कंपनी का पूरी सूरत नहीं दिखा पाता है| हमें जरूरत होता है कंपनी के बैलेंस शीट को भी विश्लेषण करने का| इसकी चर्चा अगले लेख में की जाएगी|

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